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25 Jun 2023 · 1 min read

रै तमसा, तू कब बदलेगी…

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

रै तमसा,
तू कब बदलेगी,
कैसा तेरा यह रुप है,
किसने किया यह स्वरुप है।
हमें पता है,
तेरे इस हालात का,
तू जिम्मेदार नहीं,
ना ही तू कसूरवार है,
दोषी हैं, हम जन-जन,
कोई और नहीं,
बस हम,
तुम्हें देख कर,
कोसते हैं, तुमको,
खूद को नहीं समझा पाते,
आखिर तेरे इस हाल का,
असल जिम्मेदार कौन है।
रै तमसा,
तू वही तो है,
जो पूजी जाती है,
सदियों से,
तू पूज्यनीय भी है,
हम सबकी,
फिर भी हम सब मौन हैं,
रै तमसा,
हम जानते हैं,
फिर भी पूछ रहे,
आखिर तेरे इस,
दुर्दशा का,
असल जिम्मेदार कौन है।

25 जून 2018 की रचना व फ़ोटो

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