रेख लक्ष्मण को लाँघना मत तुम
रेख लक्ष्मण को लाँघना कैसा
जान मुश्किल में डालना कैसा
अंधविश्वास का सहारा ले
सत्यता को नकारना कैसा
आया तूफान रोकना होगा
और मौसम बिगाड़ना कैसा
आँधियाँ चल रही हैं जहरीली
पाँव घर से निकालना कैसा
रखना इंसानियत सदा मन में
स्वार्थ में इसको मारना कैसा
शूल कितनी भी दें चुभन अपनी
अपना गुलशन उजाड़ना कैसा
‘अर्चना’ वक़्त है कठिन लेकिन
हार पा कर भी हारना कैसा
21-04-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद