रिश्वत
रिश्वत
अकेली नहीं जाती है,
वह अपने साथ
काफी कुछ ले जाती है।
देने वाले की बद्दुआ
तनाव औ’ चिन्ता
और मजबूरियाँ भी,
दुःख, वेदना, क्रोध
और ढेरों गालियाँ भी।
लेकिन
सिर्फ मुद्राएँ ही दिखती हैं,
बाकी चीजें तो
उसमें लिपटी हुई रहती हैं।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
(दुनिया के सर्वाधिक होनहार लेखक के रूप में
विश्व रिकॉर्ड में दर्ज)