रिश्तों की कसौटी
रिश्तों की कसौटी पर जो खरा उतर जाए ।
जिंदगी उसकी खुदबखुद सुनो संवर जाए ।।
जो नहीं करता हैं फिक्र या कद्र रिश्तों की !
उसकी जिंदगी बेबस लहर सी ठहर जाए !!
आए हो इस जहां में तो मिल जुलकर रहिए ।
भाव ऐसा हो खुशबू की तरह बिखर जाए ।।
मोहब्बत एक तरफा कभी नहीं होती देखो ।
दो दिल मिल जाएं तो दुनिया संवर जाए ।।
जाया न करना जिंदगी अपनों से दूर रहकर।
ऐसा न हो तुम ढूंढो जिसे नहीं नजर आए ।।
संजीदा रखिए मां बाप और बेटे का रिश्ता ।
आ गए बुढ़ापे में तो भला अब किधर जाएं ।।
कम ना होने देना कभी प्रेम पत्नी के लिए ।
कहीं ऐसा ना हो अपना ही घर बिखर जाए।।
बच्चों को अपने हरदम तालिम देना अच्छी।
उनका ये कीमती वक्त यूं ही ना गुज़र जाए ।।
दोस्ती के बीच भी दरार ना आने पाए कभी।
दोस्त रूठे तो भला फिर कोई किधर जाए।।
कोशिश रहे हर रिश्ता निभाया जाए दिल से ।
रिश्तों की कसौटी पर”विनोद”खरा उतर जाए ।।