रिश्ते
सारी उम्र गुजारी जिनने ,
संघर्षों के गलियारों में ।
वही स्वर्ण कण खोज सके हैं ,
सरिताओं की मझधारों में ।।
जब तन से श्रम बिंदु गिरेंगे ,
तब ही शीतल पवन लगेगी ।
भूख लगेगी जब खुलकर तब ,
स्वाद भरी हर चीज फलेगी ।।
जीवन का आनन्द मिले जब ,
नेह रहेगा परिवारों में …….
रिश्तों में दिमाग चले तब ,
हृदय से न प्रेम रहेगा ।1111
षड्यंत्रों में नहीं कभी भी
सरस् स्नेह का नीर बहेगा ।।
पतन उसी का होगा जो ,
गर्वित झूठी जय जय कारों में……
अंतर्मन में कपट भरा है ,
और सामने शीश झुकाते ।
ऐंसे लोग कभी जीवन में ,
कहीं न सच्चा आदर पाते ।।
होकर के बेचैन भटकते ,
रहते जग के बाजारों में …….
– सतीश शर्मा ।