Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2022 · 5 min read

*रिश्ते के लिए खिंचवाया जाने वाला फोटो (हास्य व्यंग्य)*

रिश्ते के लिए खिंचवाया जाने वाला फोटो (हास्य व्यंग्य)
????????
छत पर धूप लगाने के लिए संदूक रखा गया था । संदूक में अन्य चीजों के अलावा कुछ पुरानी एल्बमें भी थीं। पुराने फोटो जो अब विस्मृत हो चुके थे । दादी का संदूक था और पोता – पोती छत पर पहुँच गए ।संदूक खुला हुआ था । सामान बिखरा हुआ धूप खा रहा था । एक एल्बम में दादी का फोटो देखा तो दोनों बच्चे आश्चर्य प्रकट करने लगे। दादी को पहचानने में उन्हें जरा भी दिक्कत नहीं आई। वह फोटो दादी का विवाह से पहले का था । बड़ी अजीब तरह का फोटो था । दादी दुबली पतली थीं। साड़ी पहने हुए किसी स्टूल पर अपने दाहिने हाथ का सहारा देकर खड़ी हुई थीं। स्टूल पर एक फूलदान रखा हुआ था, जिस पर कुछ फूल सुशोभित थे। फोटो ब्लैक एंड वाइट था। पचास साल पहले कलर फोटो का रिवाज शुरू कहाँ हुआ था ?
सबसे ज्यादा तो दादी के चेहरे पर लाज और शर्म का जो भाव था ,वह बच्चों को बहुत भाया । फोटो उठाकर छत से नीचे आए और दादा जी से कहने लगे “यह फोटो तो दादी जी का लग रहा है ? ”
पुराना फोटो देखकर दादा जी को भी आकर्षण जगा। फोटो हाथ में लिया और देखते ही चौंक गए । तुरंत दादी को आवाज दी “अरे सुनती हो ! तुम्हारे रिश्ते के लिए फोटो आया है ! जरा देख लो ! और सही जँचे तो लड़की को पास कर दो ।”
दादी सुनते ही मुस्कुराती हुई दौड़ी चली आईं। फोटो देखा तो झट हाथ में ले लिया ” अरे ! यह कहाँ से निकल आया ? “और फिर सुनहरी यादों में खो गईं।
” तुम्हें कहाँ से मिला बच्चों ? ”
“संदूक में फोटो की पुरानी एल्बम थी । उसी में यह रखा हुआ था ।”
साठ साल की उम्र में भी दादी को अपने नवयौवन के दिन याद आ गए । तब वह बी.ए. में पढ़ती थीं। शादी की बातचीत शुरू होने लगी थी । लेकिन उस समय सबसे पहला काम एक सुंदर – सा फोटो खिंचवाने का होता था । फोटो घरों पर तो खिंच नहीं पाता था । इसके लिए किसी फोटोग्राफर के स्टूडियो में जाना पड़ता था ।
दादी ने बच्चों को अपने पास बिठाया और बताने लगीं ” जब हमारा फोटो खिंचवाने का नंबर आया ,तब हम बहुत घबरा रहे थे । रिश्ते के लिए फोटो जाना था। पता नहीं कैसा फोटो खिंचे ? वैसे भी शादी का नाम सुनकर घबराहट बहुत हो जाती थी। उस पर भी सबसे ज्यादा समस्या साड़ी पहनने की थी। हमने साड़ी कभी पहनी नहीं थी।”
बच्चों ने यहीं पर टोक दिया “आप तो हमेशा से साड़ी पहनती हैं । पहले क्यों नहीं पहनी थी ? ”
“पहले लड़कियाँ शादी से पहले साड़ी कहाँ पहनती थी ? सलवार – कुर्ता पहनते थे। अब साड़ी बाँधना हमसे आता नहीं था। मम्मी इस काम में हाथ बँटाने के लिए तैयार नहीं थीं। लिहाजा भाभी को तैयार किया गया कि वह फोटोग्राफर के स्टूडियो में हमारे साथ जाएँगी और वहीं पर साड़ी पहना कर हमें तैयार करेंगी। मेकअप के बारे में पिताजी की यह सख्त हिदायत थी कि मेकअप ऐसा होना चाहिए जिससे जरा – सा भी आभास न होने पाए कि लड़की का मेकअप कराया गया है । अगर पोल खुल गई तो सारा खेल चौपट हो जाएगा और फोटो रिजेक्ट कर दिया जाएगा ।”
” फिर क्या हुआ ? ” -बच्चों की उत्सुकता बढ़ रही थी ।
” होना क्या था ! जब हम फोटोग्राफर की दुकान पर गए ,तब उसने कहा कि फोटो बहुत अच्छा खींच दूंगा । बस साड़ी बाँधने की बात है । मगर संयोग देखो , जितनी बार हमारी भाभी ने साड़ी बाँधी, वह बार-बार खुल जाती थी । भाभी परेशान हो गईं। फोटोग्राफर आवाज लगाते – लगाते थक गया कि लड़की तैयार हो गई हो तो बाहर निकलो । मगर हमारी साड़ी ने बँधकर ही नहीं दिया । हार कर भाभी ने कहा कि तुम्हें घर पर साड़ी बाँधने की प्रैक्टिस करवाऊंगी। फिर किसी दिन फोटो खिंच जाएगा। बैरंग वापस लौट आए । फोटोग्राफर भी मुँह देखता रह गया । घर आकर कई दिन तक साड़ी बाँधने की प्रैक्टिस की , तब जाकर फोटोग्राफर की दुकान पर फोटो खिंचवाने का नंबर आया । छुईमुई की तरह हम खड़े हो गए । काँप रहे थे । भाभी ने समझाया कि जयमाल लेकर थोड़ी जा रही हो, जो डर लग रहा है । तुम्हारा केवल फोटो खींचा जा रहा है । हमने डरते – डरते कहा था कि मगर खींचा तो रिश्ते के लिए भेजने के लिए ही जा रहा है । हम हड़बड़ाहट में अपने विचारों को प्रकट भी नहीं कर पा रहे थे । बस यह कहो कि डूबते को तिनके का सहारा ! लंबा स्टूल हमारे बहुत काम आया । हमने अपनी दाहिनी कोहनी उस पर टिका दी और संसार का सबसे बड़ा सहारा हमें उस समय उपलब्ध हो गया। हमारा फोटो जब तुम्हारे दादाजी के पास पहुँचा तब हमारे ससुर जी की पारखी नजर थी । उन्होंने पहचान लिया कि लड़की नर्वस है और हमारे पिताजी से पूछा कि क्या लड़की को घबराहट की कोई समस्या तो नहीं होती ? पिताजी ने तुरंत बात को समझ लिया और बोले कि फोटो खींचते समय घबराने लगी थी । हमारे ससुर जी इस पर हँस पड़े और बोले कि कोई बात नहीं, लड़की देखने का प्रोग्राम बना लेंगे और भगवान ने चाहा तो सब ठीक निकलेगा । इस तरह तुम्हारे दादा जी ने हमारे फोटो को पसंद किया और उसके बाद हमें देखकर पसंद कर लिया ।”
फोटो की ऐसी कहानी सुनकर पोता- पोती खुशी में झूम उठे । फोटो हाथ में लिया और घर से बाहर निकल पड़े । दादा-दादी उन्हें बुलाते ही रह गए । दोनों बच्चों ने मौहल्ले के हर घर में जाकर दादी की फोटो दिखाई। बच्चों ने पूरे मोहल्ले में हल्ला मचा दिया “देखो हमारी दादी का फोटो उनकी शादी के रिश्ते के लिए दादाजी के पास आया था ! ”
बस फिर क्या था ! मौहल्ले में सबके घरों में पुराने संदूक खँगाले गए । पुरानी एल्बम झाड़ – पोंछकर बाहर निकली और सब के पास बिल्कुल वैसा ही एक फोटो सँभाल कर रखा हुआ था । जितनी दादियाँ थीं, सबको अपनी जवानी उस फोटो में नजर आने लगी । सब ने अपने युवावस्था के दिनों को याद किया और वह समय उनकी आँखों में तैर गया जब वह बी.ए. में पढ़ती थीं और रिश्ते के लिए फोटो भेजने के लिए उनका फोटो फोटोग्राफर के पास जाकर खिंचवाया गया था । तब कितने पापड़ बिले थे । सबको याद आने लगे ।
शाम को जब सुहाना मौसम था ,सब दादियाँ युवावस्था के अपने फोटो के साथ खेलती हुई नजर आ रही थीं। पूरे मोहल्ले में उत्सव मन रहा था ।
अब न वह फोटो रहे ,न उनको खींचने वाले फोटोग्राफर ,न साड़ी बाँधकर फोटो खिंचवाने की अनिवार्यता रही। अब तो सबके पास मोबाइल है । फेसबुक और व्हाट्सएप पर फोटो हर समय उपलब्ध रहते हैं । मगर उस जमाने में फोटो खिंचवाते समय जो लाज ,शर्म और घबराहट हुआ करती थी -उस का मजा ही कुछ और था।
?️?️?️????️?️?️
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

463 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
आज अंधेरे से दोस्ती कर ली मेंने,
Sunil Maheshwari
लिखते हैं कई बार
लिखते हैं कई बार
Shweta Soni
कैसै कह दूं
कैसै कह दूं
Dr fauzia Naseem shad
"शहर की याद"
Dr. Kishan tandon kranti
फ़ितरत
फ़ितरत
Kavita Chouhan
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा  !
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
DrLakshman Jha Parimal
*आयु पूर्ण कर अपनी-अपनी, सब दुनिया से जाते (मुक्तक)*
*आयु पूर्ण कर अपनी-अपनी, सब दुनिया से जाते (मुक्तक)*
Ravi Prakash
इक दुनिया है.......
इक दुनिया है.......
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
असर
असर
Shyam Sundar Subramanian
जल बचाकर
जल बचाकर
surenderpal vaidya
जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आसमान में बादल छाए
आसमान में बादल छाए
Neeraj Agarwal
~
~"मैं श्रेष्ठ हूँ"~ यह आत्मविश्वास है... और
Radhakishan R. Mundhra
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
VEDANTA PATEL
दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम वो आग रखते है ll
दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम वो आग रखते है ll
गुप्तरत्न
*
*"हलषष्ठी मैया'*
Shashi kala vyas
हे राम हृदय में आ जाओ
हे राम हृदय में आ जाओ
Saraswati Bajpai
देखिए आईपीएल एक वह बिजनेस है
देखिए आईपीएल एक वह बिजनेस है
शेखर सिंह
इंसानियत
इंसानियत
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
Vijay kumar Pandey
करे मतदान
करे मतदान
Pratibha Pandey
इजहार ए इश्क
इजहार ए इश्क
साहित्य गौरव
Give it time. The reality is we all want to see results inst
Give it time. The reality is we all want to see results inst
पूर्वार्थ
ये दिल है जो तुम्हारा
ये दिल है जो तुम्हारा
Ram Krishan Rastogi
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr.Priya Soni Khare
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
*प्रणय प्रभात*
बाबा महादेव को पूरे अन्तःकरण से समर्पित ---
बाबा महादेव को पूरे अन्तःकरण से समर्पित ---
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...