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31 Jan 2024 · 1 min read

* राह चुनने का समय *

** नवगीत **
~~~~~~~~~~
अब नहीँ चुपचाप बैठो,
राह चुनने का समय है।
~~
आज सत्ता के खिलाड़ी,
वोट के याचक बने हैं।
स्याह दिल भीतर छिपाये,
भगत बगुले से बने है।

सोच लें सब देशवासी,
वोट देने का समय है।

तुम रहे निष्क्रिय तभी तो,
लुट रहे हो पिट रहे हो।
राजनीति के क्षरण का,
तुम भी कारण बन रहे हो।

देशहित की राजनीति,
को बनाने का समय है।

आज अपना वोट देकर,
एक परिवर्तन करें हम।
शक्तिशाली देश को फिर,
जागरुक सरकार देँ हम।

मन में कुछ करने की ठानों।
दिन संवरने का समय है।
~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य।

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