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14 Jul 2017 · 1 min read

राह इन्तज़ार

दिन भर राह तुम्हारी निहारी
थोड़ी थकी सी हूँ ,
अभी क्षितिज की लालिमा
विश्वास का दीप ,
आँचल से ढके बैठी हूँ
पास हो तुम यहीं कहीं
मन के पास हवा का इशारा
बता रहा है
क्यारी लाल गुलाब की ,
गहन हो महक रही है ।।
मधु

Language: Hindi
416 Views

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