राह इन्तज़ार
दिन भर राह तुम्हारी निहारी
थोड़ी थकी सी हूँ ,
अभी क्षितिज की लालिमा
विश्वास का दीप ,
आँचल से ढके बैठी हूँ
पास हो तुम यहीं कहीं
मन के पास हवा का इशारा
बता रहा है
क्यारी लाल गुलाब की ,
गहन हो महक रही है ।।
मधु