राम विवाह कि हल्दी
शुभ लगन घड़ी है आई
तिहुँ लोक में खुशियां है छाई
अवध के राम दूल्हा दुल्हन जानकी
माई।।
विधि विधान परम्परा का पल
पल है अवध युवराज दूल्हा है
रस्म हल्दी की चलती बजती
शहनाई है।।
सोने चांदी की कटोरी थाली है
हल्दी चंदन ले कौशल्या माई आई है
पहली हल्दी मातु कौसल्या
ने लगाई है।।
पण्डित वेद विधी विधान की हल्दी रीति रिवाज अवध की खुशियां लाई है
दूजी हल्दी माईय कैकई आशीष
आशिर्बाद की चढ़ाई है।।
छोरियां बहने दूब से हल्दी लगती
हास परिहास ठिठोली देखन त्रिदेव सब आये है।।
त्रिदेव देव देवी आये है
राम लगन की हल्दी देख हर्षाये है
आवनी स्वर्ग जैसी राम जनकी
संयोग रस्म हल्दी बताती है।।
साँवरिया गोरा दूल्हा लखन
शत्रुघ्न सम भरत भाई भाग्य
भाव की हल्दी मातु सुमित्रा की
शुभ लगन बधाई है।।
बनेंगे राम दूल्हा ,जनकी दुल्हन
शुभ लगन घड़ी क्या आई है
जन जन घर मंगल बजती सहनाई
है।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश