Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2021 · 1 min read

** राम राम जी **

डा ० अरुण कुमार शास्त्री -एक अबोध बालक -अरुण अतृप्त

** राम राम जी **

राम को मान कर सर्वज्ञ
मन निश्चिंत हो जाता है
चिंता चित्त को त्याग कर
मनवा मेरा मर्मज्ञ हुआ जाता है
भूख प्यास सब भूल कर
तन सांस सुहाने लगती है
वीणा के स्वर जैसी सरला
मधुर माधुरी दूर मुझे ले चलती है
अनघड़ तान वितान खींचते
देव दया से हैं प्राण सींचते
तरुणाई रह रह के बागों में
तब मधुर रागिनी गाने लगती है
भोला भाला मोहन प्यारा
ठुमक ठुमक ठुमका देता है
मेरे मन के कोमल धागे तब
सकल विधा में सृजनात्मक हो जाते हैं
तब सृजनात्मक हो जाते हैं
राम को मान कर सर्वज्ञ
मन निश्चिंत हो जाता है
चिंता चित्त को त्याग कर
मनवा मेरा मर्मज्ञ हुआ जाता है
छोटी छोटी चिंताये राम नाम से मिट जाएं
बड़ी बड़ी कठिनाई तो हमरे
पास नहीं आने पाएं
ऐसे पावन सुमिरन से दुर्जन मन भी
कोमल सज्जन बन जाता है
चिंता चित्त की त्याग मनुज तो
प्रभु चरणों में ध्यान लगा पाता है
इसीलिए तो कहा
सकल विधा में सजना भी सृजनात्मक
हो जाते हैं , भोले भाले भंडारी भी ,
तब सृजनात्मक हो जाते हैं

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 540 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
हिन्दी ही दोस्तों
हिन्दी ही दोस्तों
SHAMA PARVEEN
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
ज़ैद बलियावी
*लम्हे* ( 24 of 25)
*लम्हे* ( 24 of 25)
Kshma Urmila
ठंडा - वंडा,  काफ़ी - वाफी
ठंडा - वंडा, काफ़ी - वाफी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
🌹जादू उसकी नजरों का🌹
SPK Sachin Lodhi
झूम मस्ती में झूम
झूम मस्ती में झूम
gurudeenverma198
प्यार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता
Surinder blackpen
चित्र आधारित चौपाई रचना
चित्र आधारित चौपाई रचना
गुमनाम 'बाबा'
భరత మాతకు వందనం
భరత మాతకు వందనం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
इंद्रधनुषी प्रेम
इंद्रधनुषी प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
न  सूरत, न  शोहरत, न  नाम  आता  है
न सूरत, न शोहरत, न नाम आता है
Anil Mishra Prahari
महानगर के पेड़ों की व्यथा
महानगर के पेड़ों की व्यथा
Anil Kumar Mishra
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
कवि दीपक बवेजा
* भाव से भावित *
* भाव से भावित *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
..........
..........
शेखर सिंह
जीवन पुष्प की बगिया
जीवन पुष्प की बगिया
Buddha Prakash
कैसे कहें घनघोर तम है
कैसे कहें घनघोर तम है
Suryakant Dwivedi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
शमशान और मैं l
शमशान और मैं l
सेजल गोस्वामी
2894.*पूर्णिका*
2894.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जवाब दो हम सवाल देंगे।
जवाब दो हम सवाल देंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
रखो अपेक्षा ये सदा,  लक्ष्य पूर्ण हो जाय
रखो अपेक्षा ये सदा, लक्ष्य पूर्ण हो जाय
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
“ प्रेमक बोल सँ लोक केँ जीत सकैत छी ”
“ प्रेमक बोल सँ लोक केँ जीत सकैत छी ”
DrLakshman Jha Parimal
*माता हीराबेन (कुंडलिया)*
*माता हीराबेन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
Dr Tabassum Jahan
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...