** राम राम कहिये ध्यान मा ही रहिये **
डा ० अरुण कुमार शास्त्री ० एक अबोध बालक ० अरुण अतृप्त
कथा कहूँ मैं राम की
कारियों सोच विचार
राम समान न बन सको
तो कीजो तत् सम काम
दुविधा सुविधा भूल के
दीजो तिस पर ध्यान
बिगरे काज संवारे जो
बिनु लघु गुरु तनु समान
राम नाम की नाव मा
जो जो सन्त सवार हो
जन्म सफल हुइहे तिन:
भेद अभेद के ज्ञान बिन
सबको लखे समान
कथा कहूँ मैं राम की
कारियों सोच विचार
राम समान न बन सको
तो कीजो तत् सम काम
मेरा मुझमें क्या रहा
राम किए सब होय
जो जो राम को नाम रटें
तिनु संकट सब हि हर ले हे
प्रथम प्राथना राम की
बाकि सब कछु पाछे
मन के विकट कलेश को
वें एक ही पल में काटे
कथा कहूँ मैं राम की
कारियों सोच विचार
राम समान न बन सको
तो कीजो तत् सम काम