राम-राज्य
अब सत्ता की सुबह ओ शाम!
फेस बुक ट्विटर के ही नाम!!
एसी कमरो होटल मे बैठे राम!
करते पछ विपछ सब ही काम!!
जनमानस से छूटा पीछा जाम!
रखकर छुरी बगल मे बोलै राम!!
न शासक न विपछ करता काम!
विकल हैआत्मा रोए राजा राम!!
सब प्रजातंत्र की दे दुहाई नाम!
चोर उच्चके करवा लेते है काम!!
कोर्ट-कचहरी जूते घिसते राम!
बंद कमरे डील फरमाते आराम!!
कब आएगा राम-राज्य,हे राम?
जन साथारण को मिले आराम!!
मौलिक अनूदित सर्वाधिकार सुरछित रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट कवि पत्रकार
202 नीरव निकुज सिकन्दरा ,आगरा 282007