राम पर हाइकु
शीतल नैन
पुरुषोत्तम मन
दिव्य समान
धर्म अडिग
कष्ट अविचलित
सत्य विधान
एक ही नाम
भर दे अभिमान
है बलवान
युग बदले
राम नाम समान
ना कोई धाम
ना कोई भाई
ना ही पुत्र समान
मर्यादा राम
हे अगोचर
मानव रूप धरे
भव तारण
शस्त्र निपुण
शास्त्र परिपूर्ण
सद्व्यवहार
संदीप पांडे ” शिष्य “