राम जी का विदेश का भर्मण
चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है कहीं फूलों का बगीचा ,कहीं लहराते खेत और कहीं पर आम का बगीचा दूर- दूर तक नजर आ रहा है ,मां गंगा भी इसी गांव से बह रही है कुछ तालाब भी है ,जिस गांव में राम जी रहते हैं ।राम जी बहुत ही मस्त मजाकिया किस्म के इंसान है सब समय हंसी खुशी रहना पसंद करते हैं राम जी का भरा पूरा परिवार है 3 लड़कियां और 2 लड़के है।राम जी का बड़ा लड़का विवेक ने बहुत कठिनाई से गांव की शिक्षा प्राप्त की था उसके बाद कोसों दूर जा कर विद्यालय की शिक्षा ली उसके बाद बी-टेक की डिग्री प्राप्त कर के ,अभी अमिरका देश में कार्यरत है ।बाकी सब भाई बहन गांव में ही रहते हैं छोटा लड़का खेती बाड़ी देखता है। लड़कियां घर पर रसोई देखती है ।
राम जी को प्राइम मिनिस्टर से टायलट फंड का पैसा ले कर टायलट घर के बाहर बनाया है पर वह टायलट के लिए घर से बाहर ही जाते हैं।
राम जी एक कंधा में गमच्चा और हाथों में लोटा लेकर सुबह-सुबह अपने प्रिय दोस्त श्याम लाल के साथ गांव की पगडंडी पकड़कर लघुशंका के लिए जाते हैं राम जी का प्रतिदिन दिनचर्या शुरु रहता है।राम जी लघुशंका जाने के समय, एक गाना भी गूनगुनाते है :-
पोटी लगा है और पानी नहीं ,
लंबा है रस्ता अभी जाना है बाकी,
मुझे डर है हो जाए ना यहां,
कभी टर टर कभी पर पर…….
राम जी और श्याम जी बहुत अच्छे दोस्त हैं
राम जी श्याम जी से आपस में बात कर रहे थे ,
सबसे ज्यादा आनंद कब अता है ? श्याम जी हंस पड़े…. श्याम जी बोलते हैं जब मेरी धर्मपत्नी राजो को घूंघट पर मुस्कुराता हुआ देखता हूं तब मुझे बहुत आनंद आता है, श्याम जी मुस्कुराते हुए बोले।
श्याम जी ने भी लगे हाथ पूछ ही लिया, कि राम जी आपको किस चीज में सबसे ज्यादा आनंद आता है। उस पर राम जी कहते हैं मेरे पास एक कहानी है श्याम जी ने गर्दन हिला के कहानी सुनाने के लिए कहा। राम जी ने कहानी सुनाना शुरू किया।अकबर ने एक बार बीरबल से यही सवाल किया था अकबर ने बीरबल से पूछा, आदमी सबसे ज्यादा खुश कब होते हैं ? बीरबल ने बहुत सोचने पर राजा अकबर को बोला आप मेरे घर में आज रात भोजन के लिए आइएगा। और बोला कि आज आपको रात में मेरे ही घर में रहना होगा और सुबह नदी में नौका बिहार करते समय मैं आपके सवाल का जवाब दूंगा। राजा अकबर ने कहा ठीक है।बीरबल ने रात के खाने में हल्का सा गुलाब मिला कर राजा अकबर को खिला दिया और सुबह होने से पहले ही राजा नौका बिहार के लिए निकल पड़े जब नौका नदी के बीच में आया तो राजा अकबर को जोर से लघुशंका लग गई , राजा ने बीरबल को बोला की नौका शीघ्र से किनारे लगाया जाए , तभी बीरबल ने कहा महाराज अभी तो समय लगेगा नाव को किनारे तक ले जाने में जब तक नौका किनारे लगेगा महाराज अपनी लघुशंका करने के बाद अकबर हंसते हुए बोलते हैं है मुझे पता चल गया । श्याम जी हंस पड़े । राम जी भी अपना लघुशंका के बाद श्याम जी को बोलते हैं विवेक विदेश से भी आया हुआ है, और मैं भी कुछ दिनों के लिए विदेश जाना चाह रहा हूं। टिकट हो गई है अब कुछ दिन बाद ही आपसे देखा होगा।
कुछ दिनों बाद राम जी अपने लड़के के साथ विदेश जाने के लिए घर से निकले, ट्रेन के सफर तक तो सफ़र ठीक ही था जब राम जी हवाई जहाज में बैठे थे, उनके
लिए यह एक नया अनुभव था वह थोड़ा-थोड़ा डरे और सहमे हुई थे राम जी वहां पर वेस्टर्न टायलट देख कर चौक गए और सोच में पड़ गये,कि ये किस तरह का टायलट है और पानी तो है ही नहीं।जो हुआ हुआ , किसी तरह विवेक का फ्लैट अमेरिका पहुंच गया।रात में अचछा खाना खाने के बाद जब सुबह सुबह उठकर टायलट जाते है तो वहां पर भी वेस्टर्न टायलट था दिनों दिनों के
सफर में राम जी का कहीं पर भी टायलट नहीं हो पाया था,बाहर का
माहौल भी गांव के माहौल से बिल्कुल अलग था कहीं पर भी खुला खुला माहौल नहीं था । देखने में तो अच्छा और सुंदर लग रहा था लेकिन गांव जैसा माहौल नहीं था ।राम जी बड़ी दुविधा में थे अब वो सोच रहे थे कि विवेक से इस बारे में बात करनी होगी ।तीन दिन बीत चुके थे सब कुछ तो ठीक था लेकिन समस्या लघुशंका की थी वेस्टर्न टायलट में बैठे तो थे पर हो नहीं पाता था। विवेक अपने ऑफिस जाने वक़्त राम जी को बोलते है आप घर में रहेगे बाहर आप की भाषा की समस्या होगी ,शाम को आने पर पार्क चलेंगे। ये कह कर विवेक ऑफिस के लिए निकल जाता है। इधर रामजी का कभी टर.. टर.. टर….. कभी पर ….पर ….होता रहता है और वेस्टर्न टायलट का जाना आना लगा है पर कुछ हो नहीं पाता है ।शाम होने पर विवेक फ्रेश हो कर पार्क के लिए बाबू जी के साथ निकल पड़े फ्लैट से कुछ दूर में ही पार्क था।बाबू जी को अब हरियाली देखने को मिला था रामजी की चेहरे पर मुस्कान साफ दिख रहा था और साफ तालाब यानी कि स्विंग पुल्ल भी था।बाबू जी के मन में कुछ चलने लगा ये मेरे लिए सही जगह है कल सुबह सुबह यही आ जायेगे ।रात तो सुबह होने की आशा में करवट लेते लेते कटी ।सुबह होने से ही राम जी गमछा लेकर निकल पड़े पार्क की तरफ बिना विवेक क़ो बोले हुए पार्क में सेक्योरी कैमेरा और सिक्योरिटी गार्ड भी था राम जी ने स्विंग पुल का आस
पास की जगह का जायजा लेने लगे और अपना मन पसंद गाना गुनगुनाने लगे ……..पोटी लगा है और लम्बा है रस्ता मुझे डर हैं कि हो जाए नहीं कही कभी टर कभी पर पर ….और जगह की तलाश करने लगे सभी जगह साफ साफ था कहीं पर भी गंदगी नजर नहीं आ रही थी लेकिन राम जी के मन में तो कुछ और ही चल रहा था वह जैसे बैठते है सिक्योरटी वाले वहां चले आते है hey man, what are you doing ? You get out form here राम जी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। लेकिन सिक्योरटी गार्ड ने रामजी को बाहर का रास्ता दिखाते हुआ बाहर जाने को कहा ये समझ में आ गई बात जयदे बिगड़ मन नहीं इसलिए राम जी मुरझाया चेहरा लिए वहां से जाना ही पसंद किया।राम जी
फ्लैट में पहुंच कर विवेक को कुछ नहीं बोला
पर आपनी समस्या बताई की विवेक मुझे यहां अच्छा नहीं लग रहा है मुझे घर जाना है विवेक के पूछने पर राम जी अपना बात बोलते है तब अच्छा में आप को डॉक्टर के पास ले चलता हैं
डॉक्टर के पास ले जाने पर डॉक्टर ने दावा दे कर राम जी का पेट तो हल्का कर देते हैं पर राम जी घर लौटने का जिद नहीं जाता हैं विवेक टिकट कर के राम जी घर लौट आते हैं
और राम जी की समस्या का हल होता है।