राम जपन क्यों छोड़ दिया
राम जपन क्यों छोड़ दिया रे, तूने नाम जपन क्यों छोड़ दिया
मोह न छोड़ा माया न छोड़ी, जोड़ रहा मन कौड़ी कौड़ी
तेरा मेरा करते करते, क्यों राम रतन धन छोड़ दिया।। राम
काम न छोड़ा क़ोध न छोड़ा, दौड़ रहा है मन का घोड़ा
कामनाओं में फंसते फंसते, क्यों राम रटन मन छोड़ दिया। राम
फिर राम जपन क्यों छोड़ दिया, रे तूने नाम जपन क्यों छोड़ दिया
बचपन बीता यौवन रीता,समझ न आई कृष्ण की गीता
चला चली की वेला में,राम मनन क्यों छोड़ दिया। राम
राम जपन क्यों छोड़ दिया रे, तूने राम रटन क्यों छोड़ दिया