राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
आओ आओ हम ये वंदन करें
तन में जब तक रहे सांसों की बत्तियां
मुख से निकले सदा राम की वंदना
जय जय हो श्री रघुनाथ की
जय जय हो श्री जानकी नाथ की
मन में मेरे रहे यही भावना
करते रहे हम चरण वंदना
शेष जो कुछ बची है जिन्दगी
उसमें मिले तुम्हारी ही बंदगी
दास मैं बनूं और सब से कहूं बस यही
जय राम की जय जय राम की
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)