राम आयेंगे
एक सपना जो पांच दशकों से
हमारे पूर्वजों ने ही नहीं हमारे पुरखों ने भी देखा
और उम्मीदों के साथ ही दुनिया छोड़ गए
साथ ही अपने सपनों की विरासत
अपनी संतानों को विश्वास के साथ सौंपते गए।
दिन, महीने साल गुजरते गए
न ई पीढ़ी आती पुरानी जाती रही
पर सपनों के पूरा होने की उम्मीदें
कभी न धूमिल हुईं और न ही निष्प्राण हुईं।
हां! अनेकानेक दुश्वारियों के बीच
संघर्ष, त्याग, बलिदान का क्रम जारी रहा,
आशा, निराशा के बीच टिमटिमाते दिए की लौ ने
उम्मीदों का दामन पकड़ाये रखा,
विश्वास की ज्योति को न बुझने दिया
और अनेकानेक झंझावतों में भी
“राम आयेंगे” का भाव जगाते रखा।
अंततः वो सुबह हो ही गई
जब यह सनिश्चित हो गया कि
एक बार फिर राम जी आ रहे हैं,
जन्म में उत्साह का संचार हो गया
दुनिया छोड़ चुके हमारे पूर्वजों पुरखों की
आत्मा को आत्मसंतोष मिल गया।
आज की पीढ़ी के उनके बच्चों की खुशियां
उत्साह और तैयारियां बता रही हैं
कि “राम आयेंगे” हर जन मन का सपना
इतने लंबे अंतराल के बाद सही
आखिरकार पूरा हो ही गया।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश