Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2023 · 1 min read

समझो नही मजाक

हुई पढ़ाई प्राथमिक, बैठ नीम की छाँव ।
जाते थे पढ़ने वहां, पांच कोस चल पाँव ।
पांच कोस चल पांव,सड़क थी वो भी कच्ची ।
समझो नही मजाक,बात ये पूरी सच्ची ।
सीखी बारा खड़ी , पहाड़ा कभी अढ़ाई ।
मिली लेखनी एक, उसी से हुई पढ़ाई ।।
रमेश शर्मा

2 Likes · 221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम्हारा दीद हो जाए,तो मेरी ईद हो जाए
तुम्हारा दीद हो जाए,तो मेरी ईद हो जाए
Ram Krishan Rastogi
शतरंज की बिसात सी बनी है ज़िन्दगी,
शतरंज की बिसात सी बनी है ज़िन्दगी,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पिताजी का आशीर्वाद है।
पिताजी का आशीर्वाद है।
Kuldeep mishra (KD)
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
शिव-स्वरूप है मंगलकारी
कवि रमेशराज
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
Suryakant Dwivedi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चंद अशआर -ग़ज़ल
चंद अशआर -ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Never settle for less than you deserve.
Never settle for less than you deserve.
पूर्वार्थ
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
हर सफ़र ज़िंदगी नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
बिधवा के पियार!
बिधवा के पियार!
Acharya Rama Nand Mandal
गरीब और बुलडोजर
गरीब और बुलडोजर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
💐प्रेम कौतुक-94💐
💐प्रेम कौतुक-94💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
"मशवरा"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ ....लघु कथा
माँ ....लघु कथा
sushil sarna
उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि
उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि
Harminder Kaur
कितने पन्ने
कितने पन्ने
Satish Srijan
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
Sarfaraz Ahmed Aasee
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
Gouri tiwari
■ सूफ़ियाना ग़ज़ल-
■ सूफ़ियाना ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
ਸ਼ਿਕਵੇ ਉਹ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ
ਸ਼ਿਕਵੇ ਉਹ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ
Surinder blackpen
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर  में  व्यापार में ।
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर में व्यापार में ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
Ajay Kumar Vimal
2602.पूर्णिका
2602.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हसलों कि उड़ान
हसलों कि उड़ान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बहू बनी बेटी
बहू बनी बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...