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15 Oct 2024 · 3 min read

*रामपुर की अनूठी रामलीला*

रामपुर की अनूठी रामलीला
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14 अक्टूबर 2021 बृहस्पतिवार । रामलीला का भव्य सभागार.. ढकी हुई छत.. प्रथम पंक्ति में शानदार सोफे ..ऐसे कि बड़ी-बड़ी कोठियों में भी इससे अच्छे न हों। कई पंक्तियाँ सोफों से सुसज्जित.. बैठने के लिए दूर तक सुंदर कुर्सियाँ.. शानदार पक्का मंच जो भव्य रुप से साल के बारहों महीने तैयार रहता है.. मंच और सोफों के मध्य चौड़ा गलियारा जिस पर साफ-सुथरे चमकते हुए गुदगुदे कालीन बिछे हुए हैं.. सफाई ऐसी कि एक तिनका भी किसी को दिखाई न दे !
जी हाँ ! यह रामपुर की रामलीला की साज-सज्जा है ,जिसका कोई मुकाबला दूर-दूर तक शायद ही कहीं दिखाई दे । अनुशासन की दृष्टि से कमेटी स्वयं सभागार में मौजूद रहती है । कुछ लोग बाहर की व्यवस्था देखते हैं । कहीं कोई भगदड़ ,शोर-शराबा आदि नहीं दिखाई देता । शांत वातावरण में रामलीला के पात्रों के संवाद और भी उभरकर सुनाई पड़ते हैं ।
राम और लक्ष्मण हमेशा की तरह किशोरावस्था के लिए गए हैं । दोनों अत्यंत फुर्तीले तथा आत्मविश्वास से भरे हुए जान पड़ते हैं । राम और लक्ष्मण की ही नहीं अपितु मेघनाथ और रावण की संवाद अदायगी भी प्रभावशाली है । दृश्य परिवर्तन के साथ पर्दा गिरता है और पृष्ठभूमि में एक नया दृश्य दिखाई दे जाता है । इन सब के पीछे कितनी भारी मेहनत और परिकल्पना छिपी है ,इसका अनुमान हर किसी को लगाना कठिन है । कार्य सुगढ़ता के साथ तभी संपन्न होते हैं जब मनोयोग से उन्हें किया जाए ।
रामपुर की रामलीला अनेक दशकों से ऐसी ही सुंदर व्यवस्था के साथ चल रही है। आजादी से पहले रियासत काल में एक – दो वर्ष नुमाइश के मैदान में रामलीला चली और उसके बाद नवाब रजा अली खान द्वारा प्रदत्त रामलीला का मैदान रामलीला का केंद्र बन गया ।
बचपन में जब हम रामलीला देखने जाते थे ,तब भी व्यवस्था की दृष्टि से सुंदर योजना दिखाई पड़ती थी । मंच पक्का था ,यद्यपि आज के समान भव्य नहीं था । तो भी उस जमाने में ऐसा पक्का सुंदर मंच कहीं-कहीं होता होगा । मंच के आगे चौड़ा गलियारा पक्की ईटों का बिछा हुआ रहता था । उसके बाद टीन की कुर्सियाँ बिछी रहती थीं, जिस पर नंबर अंकित रहते थे । उन नंबरों के आधार पर पास-धारक आते थे और अपनी निर्धारित नंबर की कुर्सियों पर बैठकर रामलीला देखते थे । छत खुली हुई रहती थी, जिसके कारण ओस गिरनी शुरू हो जाती थी । रामलीला के दौरान जर्सियाँ निकल आती थीं। पहले भुनी हुई खीलों का ठेला रामलीला का मुख्य आकर्षण होता था। अब उसका स्थान मशीन से बनने वाली पॉपकॉर्न ने ले लिया है । रामलीला में हमेशा से समोसे ,दालमोठ और गरमा – गरम पकौड़ी दर्शकों के अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र रहा है । अभी भी यह सब हाल के बाहर चल रहा है।
रामलीला के आयोजकों ने बड़ी मेहनत करके इसे एक सुंदर सभागार में परिवर्तित किया है ,जिससे न केवल रामलीला का आयोजन भव्यता के साथ संपन्न होता है अपितु इसका नामकरण उत्सव पैलेस कर दिया है । जिससे वर्ष-भर यह राम-कथा, भागवत-कथा के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक -सांस्कृतिक आयोजनों मे भी काम आता है । शादी-ब्याह में भी इसकी भारी उपयोगिता जनता को देखने को मिलती है । रामलीला का बड़ा मैदान इस प्रकार से उपयोग में आ रहा है कि अब इसमें एक शानदार रामलीला पब्लिक इंटर कॉलेज भी चल रहा है और इसके बाद भी इतना बड़ा मैदान खाली है कि उस में भारी भीड़ एकत्र हो सकती है । ऐसी रामलीला, ऐसी सुव्यवस्था और ऐसी भव्यता भला रामपुर के अतिरिक्त और कहां मिलेगी ? गर्व है हमें अपनी रामपुर की रामलीला पर ।
प्रतिदिन समाज के प्रमुख व्यक्तियों को मुख्य अतिथि बनाने की एक परिपाटी रामलीला कमेटी ने अनेक दशकों से आरंभ की हुई है । दशहरे की पूर्व संध्या पर आयोजित रामलीला में मेघनाद वध के मंचन के समय कमेटी ने भारतीय जनता पार्टी के यशस्वी नेता श्री आकाश सक्सेना तथा समाजसेवी एवं उद्योगपति श्री उमेश सिंघल को मुख्य अतिथि के रूप में शोभायमान किया हुआ था । मुख्य अतिथि-द्वय द्वारा मंच पर पधार कर दैनिक लॉटरी कूपन भी निकाले गए । आज की रामलीला में प्रारंभ में मेघनाथ की शक्ति से लक्ष्मण मूर्छित अवश्य हुए किंतु अंततः मेघनाथ का वध लक्ष्मण के द्वारा कर दिया गया । जनता हर्ष से भर उठी ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर ( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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