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31 May 2024 · 1 min read

रानी का प्रेम

गीत गाना गुनगाना
उसका पेशा था
गाता फिरता
गुनगुनाता फिरता
और कुछ न आता
जो वो करता

रानी के खिड़की के
पास वो रोज आता था
एक बासुरी के धुन सुनाके
वो रानी पे हक जताता

रानी भी अब उसकी
दीवानी हो गई
अब उसे भी कुछ
अच्छा न लगता था

एक दिन ये बात
राजा तक पहुंच गई

वो आखिर राजा था
कोई खेल नही
रानी की बातो से
उसका मेल नहीं

आज भी वो पागल आता
है रानी को ढूंढता पर
कहीं रानी को न ढूंढ
पाता थका हारा वो भी
एक दिन जगत को छोड़ चला
जाता हैं

Language: Hindi
24 Views
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