राधा दिवानी छोड़ जाऊँ क्या
नयन दरिया में ख्वाबों की रवानी छोड़ जाऊँ क्या
बता मुझको सुगंधित रातरानी छोड़ जाऊँ क्या
तिरी मगरूरियत मैं तोड़ दूँ तुझ पर फ़ना होकर
तिरी यादों में अपनी भी कहानी छोड़ जाऊँ क्या
मेरी मजबूरियों पर हँसने वाले ऐ मिरे हमदम
तू रोए हर घड़ी ऐसी निशानी छोड़ जाऊँ क्या
दिखे हालात बद्तर जब कभी तो सोचता हूँ मैं
सड़क पर भागती पागल जवानी छोड़ जाऊँ क्या
समंदर थी वो आँखें जो बहाकर ले गईं सपने
कहो उनमें मैं इन आँखों का पानी छोड़ जाऊँ क्या
किया मनुहार मीरा ने तो कान्हा ने कहा रोकर
तड़पती फिर कोई राधा दिवानी छोड़ जाऊँ क्या