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6 Jul 2023 · 1 min read

“रात यूं नहीं बड़ी है”

रात यूं नहीं बड़ी है,
तेरे इंतज़ार की घड़ी है,

वो चांद सा है चेहरा
लब फूल की लड़ी है,

वो पंखुड़ी सी पलके
और झील सी है आंखे,

मैसम है मुस्कुराना उसका
सावन की वो झड़ी है,

कोयल सी जिसकी बोली
गुलशन में वो खड़ी है,

सारे जहां की खुशबू
आंचल में यूं पड़ी है,

बादल की वो बहारें
दहलीज़ पर खड़ी है,

जब से मेरी निगाह,
उस हसीन पर पड़ी है

(#ज़ैद_बलियावी)

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