रात के 8 बज गये
तू भरोसा भी दिलाता है तो ऊँगली दिखाता है ,
जुमले भी उड़ाता है तो ऊँगली दिखाता है,
यक़ीन किस पर करूँ, तू हर बात पर ऊँगली दिखता है ।
जितना बोला, उसका आधा भी किया होता ।
चेहरे के भाव छिपाने, दाड़ी की जरूरत ना होती ।।
तेरी हर जलेबी सी बात को मैं चासनी में डुबोता चला गया।
पेट भरा नहीं किसी का, तू वस गैस उड़ाता चला गया ।।
काम बहुत करता है, मगर दिखावा और ज्यादा करता है ।
ऐसा नही काम तूने ही किया है, मगर तू प्रोपगेंडा ज्यादा करता है ।।
हर बात पर भाइयो बहनों बोलता है, बहुत अच्छा लगता है ।
बड़ी सख्सियत है, झूठ आँखों में आँखे डाल के बोलता है।।
अपने मन की कहता है, अपने मन की सुनाता है ।
हम रहैं लाख परेशान, वो वस चाय के नशे में रहता है ।।
उसकी तुम सुनोगे, तुम्हारी तुम सुनोगे।
सुनना तुम्ही को है, सोच लो बोलोगे या सुनोगे ।।
तुम कहो अपनी, वो कहे अपनी , वो वस बोलता है ।
टीवी ऑफ़ करदो, रात के 8 बजने से दिल दहलता है ।।