राजयोग महागीता:: गुरुक्तानुभव ( घनाक्षरी) पोस्ट ७
गुरु वचनों का मंत्र, सत्संग , स्वाध्याय– सुधा ,
नृप ! ज्ञान – प्राप्ति का उपाय यही जानिए ।
ज्ञान है परम यही, सबमें समाया जो है ,
आप ! सारात्सार, परंब्रह्म को ही जानिए ।
शाश्वत नित्य परम आनंद का स्रोत भी जो ,
मैं भी हूँ वही स्वरूप , अपने को मानिए ।
भक्ति, ज्ञान, कर्म में तो श्र्ष्ठ है सहज भक्ति,
जानकर उसके ही गुण गान गाइए।।अध्याय १ / छंद २!!
——– जितेन्द्रकमल आनंद