#ग़ज़ल-36
राजनीति होती अवसरवादी है
पैंतरा चले वो ही फ़ौलादी है/1
झूठ बोल सकता जो सबसे ज़्यादा
राज पाठ उसका जनता आदी है/2
सोच देख हैरानी होती मुझको
लोकतंत्र पर अब हावी खादी है/3
गोलमोल गोली देते सपनों की
भूल मूल बातें फिर बरबादी है/4
पीर दिल जगी देखा जनता-शोषण
पर इसी घड़ी में वो उन्मादी है/5
रोग की दवा करना सीखो यारो
मौत ने दया दिल में ना लादी है/6
तुम पढ़ो बढ़ो अधिकारों को जानो
पल वही सही सबका सौहार्दी है/7
देख प्रीत प्रीतम की नभ-सी पावन
प्यार की करे ये इक आज़ादी है/8
-आर.एस.बी.प्रीतम
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