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4 Dec 2019 · 2 min read

रागनी नं० 32 सिर पै चढ़गी नौटंकी, धरती हालण नै होगी..!!

वार्ता:- रोजाना की तरह मालण नौटंकी के लिए हार लेकर जाती है। उस दिन नौ लड़ी का हार देखकर नौटंकी कहती हैं मालण किसनै बनाया यो हार तेरा बनाया तो नही लग रहा। एकबार तो मलण ईनाम पाने के लिए झुठ कहती है ए छोरी मनै ए बनाया है। इतनी सुनकर नौटंकी गुस्सा हो जाती है और कहती हैं झुठ मत बोल सही बता किसनै बनाया है। डरती हुई मालण कहती म्हारै भाणजे की बहू आरी सै उसनै बनाया है हार। तो नौटंकी कहती हैं उसनै जल्दी से जल्दी मेरे पास लेकर आ। तो मालण बाग में जाती है। और एक बात के द्वारा परदेशी को सारी कहानी बताती है और कहती परदेशी मेरी जान बचादे और लासट मे कहती हैं इतना काम करदे परदेशी।
एक बात के द्वारा क्या कहती है मालण…..

तनै करा हार तैयार, दिक्कत मालण नै होगी,
सिर पै चढ़गी नौटंकी, धरती हालण नै होगी..!!टेक!!

तेरी करी कराई खुबात का, हो लिया सत्यानाश जले।
ले कै हार गई थी मै, उस नौटंकी के पास जले।
हार देखकै राजी होगी, पर करा नही विश्वास जले।
किसनै बनाया यो हार, करती रही एक सांस जले।
मै के करती मुंह में लठ्ठ, वा डालण नै होगी..!!१!!

आंख कांड कै बोली बैरण, तेरा ना तैयार करा।
साची साच बतादे नै, ना मारू साटा पास धरा।
पेश करदे उसनै लाकै, तनै मिलैगा ईनाम खरा।
मै डरती डरती बोली, म्हारे भानजे की बहू घरा।
फेर बोली लेकै आ साथ, हलकारा घालण नै होगी..!!१!!

मै बोली कर टाल हलकारा की, आप ले आऊं।
हाथ छोड़दे मेरा छोरी, इबै भाजी भाजी जाऊं।
हुर परी तै घाट नही, उसकी सुंदर श्यान दिखाऊं।
एक घंटे के भीतर भीतर , नौटंकी तेरे पास लाऊं।
तगाजा करले इब जावण का, आग बालण नै होगी..!!३!!

नौटंकी के धोरै चाल, या बचजा जान मेरी।
बस करले भेष जिनाना, तू इतनी मान मेरी।
तेरे चाले तै रहै जागी, बणी बणाई शान मेरी।
इच्छा होजा पुरी तेरी, जै सुणै भगवान मेरी।
फेर पकड़ हाथ मनजीत का, तैयार चालण नै होगी..!!४!!

रचनाकार:- पं० मनजीत पहासौरिया
फोन नं०:- 9467354911
©®

Language: Hindi
298 Views
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