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20 Jul 2023 · 1 min read

छीज रही है धीरे-धीरे मेरी साँसों की डोर।

छीज रही है धीरे-धीरे मेरी साँसों की डोर।
अधरों पर है हास मगर भीग रही नयनों की कोर।

© सीमा अग्रवाल

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