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1 Jan 2018 · 1 min read

3. किस्सा:-कृष्ण सुदामा(लेखक मनजीत पहासौरिया)

वार्ता :-
जब सुदामा श्री कृष्ण जी को घर जाने की बात कहते है तो द्वारकादीष कुछ समय और रूकने के लिऐ बार बार विन्नति करते है। तो सुदाम क्या कहता है….

घरा जरूरी जाणा सै, बहोत दिन होगे घर तै बाहार..!!टेक!!

छोटे-छोटे बाळक डर म्हं, रहते होगे रंज फिकर म्हं,
घर म्हं आखिर ठोड ठिकाणा सै, मतना रोकै प्यारे यार…!!१!!

द्वारका नगरी देखली सारी, करी हाथी घोड़ा की असवारी,
कृष्ण मुरारी घणा स्याणा सै, मतना करै इब वार.!!२!!

बालक सै जिनकी उमर याणी, करती होगी सोच मिश्रराणी,
मन मै ठानी फेर आणा सै, या विन्नति करले स्वीकार..!!३!!

घणे दिनां पाये थे दर्शन, मिलकै होगा था मन प्रशन्न,
मनजीत नै कृष्ण का गुण गाणा सै, ना बदलै कदे विचार..!!४!!

रचनाकार :- पं मनजीत पहासौरिया
फोन नं० :- 09467354911
ईमेल :- pt.manjeetpahasouriya@gmail.com
©®M.S Pahasouriya

Language: Hindi
674 Views
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