राखी (कुण्डलिया)
कच्चे धागे से जुड़ा, राखी का त्यौहार
मिले बहन जब भ्रात से, बरसे स्नेह अपार
बरसे स्नेह अपार, बहन जब बाँधे राखी
जगता सात्विक भाव, उड़े मन जैसे पाखी
रेशम की यह डोर, पहनते बूढ़े बच्चे
रिश्ते बने प्रगाढ़, भले हों धाँगे कच्चे।।1
आये सावन मास में, रक्षाबंधन पर्व
बहना दे शुभकामना, भाई करता गर्व
भाई करता गर्व, बहन जब घर पर आती
हर बहना ऱक्षार्थ, वचन भाई से पाती
रहे सुरक्षित बहन, पर्व सबको बतलाये
बहे नेह की धार, यहाँ जब सावन आये।।2
राखी के इस पर्व पर, मेरा एक सुझाव
राखी बाँधे पेड़ को, जोड़ें स्नेह लगाव
जोड़ें स्नेह लगाव, बचायें अपनी धरती
जगह जगह हों पेड़, न भू हो बंजर परती
नगर नगर या गाँव, बने यह वसुधा साखी
करें जगत हित काम, अमर हो अपनी राखी।।3
नाथ सोनांचली