“राखी का त्यौहार”
राखी का त्यौहार
जब भी आता है,
भाई-बहन को
बचपन याद दिलाता है,
इन कच्चे धागों में
अटूट स्नेह समाया है,
चाहे दूर हो या हो पास
स्नेह से दूरियाँ मिटाता है,
झंझावातों से हटाकर
दिल को हर्षाता है,
यदि राखी बहन का स्नेह है
तो भाई का फर्ज बताता है,
पवित्र बंधन
का प्रतीक है राखी
इसका कोई मोल नहीं
नि:स्वार्थ प्रेम ही जिसमें
अपना जगह बनाया है।
पूनम झा
कोटा राजस्थान