रहवर ही लूटते हो जब रहजन बनकर
तेरी जुदाई पड़ी पीछे दुश्मन बनकर।
कुछ और मुझको प्यार दो साजन बनकर।।
तुम साथ नही हो तो बेदम है जिंदगी।
तुम दिल में धड़कते हो धड़कन बनकर।।।।
ये और है मेरी तबाही की खबर न तुझे।
रोई घटा भी मेरे साथ हमदरद बनकर।।
मैने सोचा आयेगा सावन खुशी लायेगा।
आंखें बरषी मेरी सावनमें ही सावन बनकर।।
अब कैसे बचाये कोई लुटने से कारवां।
रहवर ही लूटते हो जब रहजन बनकर।।
उम्र भर याद रखेगा तेरी सौगात “अनीश”।
दी है तूने जो मुहब्बत में हमदम बनकर।।✍
कारवां=यात्रियों का जत्था।
रहवर=सहयात्री।रहजन=लुटेरे।