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2 May 2024 · 1 min read

रण चंडी

आधी दुनिया
अधूरा किरदार
बिन मांगे मिला
पल– पल तिरस्कार
मेहनत की रोटी
खुद ही कमा ली
फिर भी ना मेरा कोई घर
ना मैं कहीं किराएदार
अपेक्षाएं त्याग दी
कर लिया सब कुछ स्वीकार
तब भी कम न हुई तौहमते
होती रही प्रश्नों की बौछार
न न, मैं कमजोर नहीं हूं
नहीं डरा सकते हो मुझे बार-बार
अब बन गई हूं रणचंडी
हाथों में है मेरे , बरछी, ढाल,तलवार।

…..

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 154 Views
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