रजनीगंधा
तुम रजनी गंधा मैं रात की रानी
कभी तुम महके आँगन कभी मैं
ज़िंदगी की पटरियों पर चलते रहे
अपनी अपनी खुशबुएं साथ लिए
कभी चुभे नुकीले दाँतों से ये फूल
सुलगाती रही चिंगारियाँ रात रानी
कभी तुम्हारे पास थे मरहम के हाथ
तो हम भी निभाते ही रहे सदा साथ
रजनी गंधा महकते रहे,सूखते रहे
नयी उम्मीदें संजोते रहे नित-नित
आत्म पराभव पर भी गाये गीत
ऐसे ही चलते रहे, बने रहे मन मीत
चूंकि हमने थामे हैं हाथ,रहे साथ
हर हाल में जीवन संजीवनी संजो
हाथों रहे हाथ,कांटे चुभे,फूल सजे
बस, कुछ दिन और थाम लो,बस….
कभी हमने कहा,कभी उन्होंने कहा
अपनी-अपनी बात कहते,चलते रहे
तुम रजनीगन्धा मैं रात की रानी
महकते रहे अपनी खुशबुएं लिए
मीरा परिहार ✍️💐