Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2016 · 1 min read

रख दे अब तू भी वहम का बादल निकाल के

रख दे अब तू भी वहम का बादल निकाल के
क्या रख दूं तेरे सामने मैं दिल निकाल के

निकाल तो डाला मुझे महफ़िल से कई बार
दिल से अपने देखूं में भी महफ़िल निकाल के

फिर से उसकी वाली गली में चल यार मिरे
ये मुझको ले आया कहाँ पागल निकाल के

कहते हैं बिजली सी अदा है तेरी जानां
तो दिखला दो बिजलियों से पायल निकाल के

पागल दीवानी फिरे कभी इधर कभी उधर
दुनियाँ को देखूं अगर मैं मंज़िल निकाल के

नामुमकिन है मिल जाए दूध असली आजकल
क्यूँ थैले से तू चल दिया चावल निकाल के

लो बिन पूछे ही रख दिया गालों पे ‘सरु’ के
अश्क़ों ने मेरी आँख से काजल निकाल के

424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"कुटुंब विखंडन"
राकेश चौरसिया
तिश्नगी
तिश्नगी
Shyam Sundar Subramanian
“मंजर”
“मंजर”
Neeraj kumar Soni
*बुखार ही तो है (हास्य व्यंग्य)*
*बुखार ही तो है (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
बसेरा
बसेरा
Chitra Bisht
देश में क्या हो रहा है?
देश में क्या हो रहा है?
Acharya Rama Nand Mandal
बाबुल
बाबुल
Neeraj Agarwal
"प्रथम साहित्य सृजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
द्वैष दुर्भाव
द्वैष दुर्भाव
Sudhir srivastava
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
Rj Anand Prajapati
"पनघट की गोरी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
फूल चेहरों की ...
फूल चेहरों की ...
Nazir Nazar
"The Deity in Red"
Manisha Manjari
..
..
*प्रणय*
"हास्य कथन "
Slok maurya "umang"
बिसरे पन्ने और हम
बिसरे पन्ने और हम
Padmaja Raghav Science
"वक़्त की मार"
पंकज परिंदा
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
जीवन पथ पर
जीवन पथ पर
surenderpal vaidya
ज़िंदगी कुछ भी फैसला दे दे ।
ज़िंदगी कुछ भी फैसला दे दे ।
Dr fauzia Naseem shad
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
Madhuri mahakash
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जाणै द्यो मनैं तैं ब्याव मं
जाणै द्यो मनैं तैं ब्याव मं
gurudeenverma198
चुपचाप यूँ ही न सुनती रहो,
चुपचाप यूँ ही न सुनती रहो,
Dr. Man Mohan Krishna
!! मुरली की चाह‌ !!
!! मुरली की चाह‌ !!
Chunnu Lal Gupta
गुनाह ना करके भी
गुनाह ना करके भी
Harminder Kaur
सत्य एक श्री राम
सत्य एक श्री राम
Rajesh Kumar Kaurav
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
VINOD CHAUHAN
दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
Sonam Puneet Dubey
तुम बस ज़रूरत ही नहीं,
तुम बस ज़रूरत ही नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...