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7 Feb 2021 · 1 min read

रखो भावना श्रेष्ठ,

आधार छंद:- त्रिलोकी मापनी मुक्त मात्रिक
मात्रा भार २१ तथा ११,१०पर यति अंत में लगा,संधि में त्रिकल
समान्त -आर
पदान्त- का
गीतका

रखो भावना श्रेष्ठ, मनुज व्यवहार का ।
करो हमेशा कर्म,जगत उपकार का।१।

करो सदा सहयोग,जरूरत मंद का,
हाथ थामना दीन,दुखी लाचार का।२।

जला ज्ञान का दीप,अँधेरा दूर कर,
मिट जायेगा कष्ट,सकल संसार का।३।

रहे स्वयं का बोध, हृदय में चेतना,
दया-भाव बहुमूल्य,सफल आधार का।४।

ढ़ाई अक्षर प्रेम, पढ़ा है सिर्फ जो,
वह होता विद्वान,सबक ले प्यार का।५।

मानवता का धर्म,रहे हर एक में,
सत्कर्मों का भाव, हृदय करतार का।६।

जीवन है संग्राम,निडर पथ पर बढ़़ो,
बचा नहीं है वक्त,अभी इंतजार का।७।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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