रखूं मैं सब्र कब तक कि, मेरा चांद आएगा
रखूं मैं सब्र कब तक कि, मेरा चांद आएगा
दिखा नहीं इस बार, क्या अगली बार आएगा
नजर आती है उसकी सूरत, हमें दिन के उजाले में
कोई कल कह रहा था कि ,अमावस बाद आएगा !!
बंद होती है जब आंखें,तुम्हारा ख्वाब आता है
कि अब महफिल में मेरा नाम ,तुम्हारे बाद आता है
रंगे है प्रीत के रंग में कुछ इस तरह से हम
पुकारे जब कोई राधे ,तो फिर घनश्याम आता है!
अनंत