रक्षा बन्धन पर्व को समर्पित पंक्तियाँ ..
रक्षा बन्धन पर्व को समर्पित…
हाँ बहन शरारती है तू
कर मदद उभारती है तू।।
बाँध नेह डोर भाई को।
आरती उतारती है तू।।
लाड़ खूब तू लड़ाती है।
प्यार से पुकारती है तू।।
पास गोद में बिठा लेती
खूब तो दुलारती है तू।।
जानता है कवि तेरी आदत
हो गलत नकारती है तू।।
“दिनेश” कवि