– रंजीशे अपनो की मेरी –
– रंजिशे अपनो की मेरी –
मुझे बदनाम करने को,
मेरा सम्मान खोने को,
हमे दुविधा में देखने को,
हर पल मेरे कामों पर नजर रहती है,
हो जाए मुझसे कोई गलती,
जिसका बुरा कोई परिणाम हो,
मन में जिनके रंजिशे है चलती,
मेरे सम्मान खोने की आरजू जिनके मन में है पलती,
मेरे अपनो के मस्तिष्क में रंजिशे है चलती,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान