रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
प्रेम रंग गहरा चढ़े, उतरे न महावीर
उतरे न महावीर, सजन मारे पिचकारी
सजनी लिए गुलाल, खड़ी कबसे बेचारी
प्रेम रंग के बीच, चले खेल उमंगों का
जग में ऐसा पर्व, नहीं दूजा रंगों का
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
प्रेम रंग गहरा चढ़े, उतरे न महावीर
उतरे न महावीर, सजन मारे पिचकारी
सजनी लिए गुलाल, खड़ी कबसे बेचारी
प्रेम रंग के बीच, चले खेल उमंगों का
जग में ऐसा पर्व, नहीं दूजा रंगों का