ये हम क्या कर रहे हैं
मारना तो था अपने घमंड को
उसने अपना ज़मीर मार दिया
एक रोटी ही तो मांगी थी मासूम ने
उसने भूखे बच्चे को थप्पड़ मार दिया।।
छोड़ना तो था बुरी आदतों को
उसने बूढ़े मां बाप को छोड़ दिया
जोड़ के रखा परिवार को जिसने
उसको ही वृद्धाश्रम भेज दिया।।
मिटाना था बुरी यादों को मन से
उसने खुद को ही मिटा दिया
भरी जवानी में खुद को जाने
किस किस नशे का आदी बना दिया।।
तोड़ना था नफरतों की दीवारों को
वो आपस का विश्वास तोड़ रहे हैं
बरसों पुरानी इस देश की संस्कृति को
न जाने आज वो क्यों छोड़ रहे हैं।।
फोड़ना तो था लालच का घड़ा
वो आज एक दूसरे के सिर फोड़ रहे हैं
है नहीं बूढ़े मां बाप की भी फिक्र उनको
देखो कैसे एक दूसरे पर तलवारें छोड़ रहे हैं।।
प्यार करना था इंसानों से हमें
हम वस्तुओं से कर रहे हैं
छोड़कर इंसानियत को अपनी
ज़मीन जायदाद पर मर रहे हैं।।
जलाना तो था बुराइयों को हमने
हम केवल रावण का पुतला जला रहे
लग रहा जैसे पत्तों को जलाकर
पेड़ के कटने की खुशियां मना रहे।।
पालना था हमको उस बचपन को
जो सड़कों पर धूल खा रहा है
हम पाल रहे हैं नए नए पश्चिमी शौक
उसमें ही अब हमें मज़ा आ रहा है।।
देना था हमको स्नेह बेटियों को
हम उन्हें पीड़ाएं हज़ार दे रहे हैं
है नहीं कोई भी ज़रूरत का सामान
हर जगह हम ऐसे बाज़ार दे रहे हैं।।
करना था संरक्षण धरती मां का
हम उसको ही उजाड़ रहे हैं
किया है आबाद जिस धरा ने हमको
उसकी ही सेहत बिगाड़ रहे हैं।।