ये सदा जग तेरा भी नही
ये सदा जग तेरा भी नही मेरा भी नही
ओर हमेशा यहां कोई रहता भी नही
बोलते रहे सदा ही वो अपना मुझे
स्वार्थ निकला न तो फिर बोला भी नही
कहते सब दुनिया झूठी है ये बड़ी
ना मैं झूठा न तू ओर मिला भी नही
सबको लगते है दुख दर्द अपने बड़े
रोटी सिवा गरीब ने कुछ मांगा भी नही
दफन होने को सोने को दो गज ही बस
हमने कभी किसी को कुछ समझा भी नही
जाति भेदभाव फैला सबके मन मे है
खून अलग पर मेरा भी तेरा भी नही