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17 May 2024 · 1 min read

मैं ढूंढता हूं रातो – दिन कोई बशर मिले।

ग़ज़ल

2212/1212/2212/12
मैं ढूंढता हूं रातो – दिन कोई बशर मिले।
दिल से हमारा साथ दे वो हमसफ़र मिले।1

जीना कठिन हो राह में जब ऐसी धूप हो,
तपते बदन को छांव दे कोई शजर मिले।2

दुनियां की दौलतें न दे इतना तो दे खुदा,
जो रोजी रोटी दे सके ऐसा हुनर मिले।3

जो साथ छोड़ दे मेरा मुश्किल के दौर में,
मुझको न चाहिए अगर रश्के कमर मिले।4

प्रेमी हूॅं तुमसे प्यार की चाहत है इस कदर,
हो जाए बंदगी मेरी तुमसे नजर मिले।5

……✍️ सत्य कुमार प्रेमी

1 Like · 23 Views
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