!! ये सच है कि !!
सजा रिश्तों के गुलदस्ते
वो घर को घर बनाती है
बहाकर प्रेम की गंगा
हमें चलना सिखाती है
अनेकों रंग फूलों के
पिरो माला बनाती है
सदा दुश्वारियां सहकर
हमें हंसना सिखाती है
बहन बेटी व मां पत्नी
अनेकों रूप है लेकिन
ये सच है कि, हमें जीना
कोई महिला सिखाती है
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)