ये वो हैं जो हिसाब मांगते !
वो जिसने मानवता की राह दिखाई,
वो जिसने आजादी की चाह जगाई,
आज उससे कुछ लोग हिसाब मांगते,
पुछ रहे हैं अपना हिन्दुस्तान कहां है?
जिसने अपना सब कुछ त्यागा,
जो मोह माया में नहीं अनुरागा,
जिसमें शासन सत्ता का लोभ ना जागा,
जिसने जाति धर्म का भेद मिटाया,
हैं पुछते आज उसी से,
बतलाओ अपना हिन्दुस्तान कहां है?
जिसने दुर्बल की आह को जाना,
जिसने दीन हीन को अपना माना,
जिसने देह का वस्त्र भी त्यागा,
जो अपने दायित्वों से कभी ना भागा,
आज उसी को कोस रहे हैं,
बतला हमें,हमारा हिन्दुस्तान कहां है?
जिसने सीने पर गोलियां खाई,
जिसने मरते हुए भी राम नाम की जाप लगाई,
आज उसी को नकार कर बड़े रामभक्त बने बैठे हैं,
आज उसी से बैर का भाव रखते हैं
आज उसी को खीजते कोसते,
उसी का दिया हुआ, फिर से अपना हिन्दुस्तान मांगते?
हर लिया जिन्होंने उनके प्राणों को,
छीन लिया जिन्होंने हमसे हमारे बापू को,
आज फिर उसी के विचारों को मारते,
कदम कदम पर उसके नाम को कोसते,
जो उसके हत्यारों को पूजते,
जो बात बात पर लड़ पड़ने को जुझते,
वो ही उससे चीख चीखकर पूछते,
दिखा हमें हमारा हिन्दुस्तान कहां है?
जो माफी मांग कर भी बीर हो गये,
जो भेद बढ़ा कर नूर हो रहे,
आज उन्हीं की पूजा हो रही ,
आज उन्हीं की तूती बोल रही,
जो जाति धर्म पर बांट रहे हैं,
एक ही लाठी से हांक रहे हैं,
गरीब गुरबों से मुंह मोड़ रहे हैं,
पूंजी पतियों से गठजोड़ जोड़ रहे हैं,
उनसे कोई कुछ भी मांगें,
वो तो उसी को हैं निचोड़ रहे,
अब तुम्हीं सोचो, तुम्हीं समझो,
किसे दोष दें,किसे मुक्त करें,
कौन था अपना और कौन है पराया,
कौन ऐसो आराम से रह रहा है,
और कौन है जो कष्ट उठा गया,
कौन सत्ता का भोग करता,
कौन था जिसने अपना सर्वस्व लुटाया?
हिसाब ही मांगना है तो आओ,
मिल बैठकर ये हिसाब लगाओ।