“ये याद रखना”
“ये याद रखना”
जमाना देख रहा ऊँचे-ऊँचे
दिन-ब-दिन ख़्वाब,
मगर सूख रही नदियाँ हजारों
गायब हो रहे रोज-रोज
कइयों झील कुएँ तालाब,
चेते नहीं आगे अगर तो
बिकेगा पानी छटाक-छटाक।
“ये याद रखना”
जमाना देख रहा ऊँचे-ऊँचे
दिन-ब-दिन ख़्वाब,
मगर सूख रही नदियाँ हजारों
गायब हो रहे रोज-रोज
कइयों झील कुएँ तालाब,
चेते नहीं आगे अगर तो
बिकेगा पानी छटाक-छटाक।