ये नयन
जब भी ये नयन मुख की भाषा बोल जाते है ,
बिन कहे कितने ही अनगिनत बोल, वे बोल जाते है।
अधरों में कोई स्पंदन नही,कोई कंपन नही,
पर ये नयन मिश्री से मीठे बोल अक्सर, बोल जाते है।
बोली तो हर कोई बोले,शब्द छोटे हो या हो बड़े
पर ये नयन-तराजू तो, उन शब्दों को भी तौल जाते है।
अनेक है भाषाएँ देश औ दुनिया, दूर-दराज में,
पर ये नयन ,नयनों संग अपने दिलों के राज हमेशा खोल जाते है।
चाहे खुशियों के दिन हो, या दुखों की रातें,
पर ये नयन हर पल के भावों को ,अनमोल कर जाते है।
नही अछुते बड़े-बड़े भी, इनके बाणों के प्रहार से,
तभी तो , तपस्वीयों के मन भी इनपर अक्सर डौल जाते है।
#सरितासृजना