ये दिल मेरा था, अब उनका हो गया
ये दिल मेरा था,अब उनका हो गया,
श्वास से श्वास का स्वयंवर हो गया।
ये दिल अब कितना परेशान है,
शायद कुछ दिनो का मेहमान है।
लगता नही ये दिल अब कहीं भी,
पता नही इसको क्या हो गया।।
ये दिल मेरा था,,,,,
पता नही ये दिल कहां खो गया,
किसी विभीषिका में फस गाया।
कैसे निकालू इसे विभीषिका से,
पता नही दिल को क्या हो गया।।
ये दिल मेरा था,,,,,,,,,,,,,
निशा अब अंधेरी होती जा रही,
प्रकाश का काम तमाम हो गया।
पता नही कब सूर्य उदय होगा ?
इसी उधेड़ बुन में मन खो गया।।
ये दिल मेरा था,,,,,,,,,,,,,
दिल नहीं है मेरे नियंत्रण में,
पता नही ये कहां है खो गया।
ला दे इसे कोई ढूंढ कर मुझे,
शायद ये अनियंत्रित हो गया।।
ये दिल मेरा था,,,,,
आर के रस्तोगी गुरुग्राम