हाँ, बदल गया हूँ मैं…
हाँ, ये सच है
मैं बदल सा गया हूं…
अब कोई शिकायत नहीं होती
ये नहीं कि..
कुछ बुरा नहीं लगता
बस हर घड़ी याद रहता है
तेरी हर तकलीफ को
अपना कर लूं कैसे
कि तेरी शरबती आँखे न
हो नम कभी।
तेरे साथ बिताए लम्हे
अब भी याद हैं मुझको
याद है मुझको
तुझ से किए वादे अपने।
और इन्तिज़ार
लंबा हो कितना भी,
तुम मिलोगी मुझ से
सितारों की उस दुनियां में
जहां न कोई रस्म होगी
न रवायत,
न रंजिशें होंगी, न अदावत
बस होगा एक
खुशनुमा एहसास,
तुमसे मिलने का,
पा लेने का
इस जनम में न सही
उस जनम में ।
फ़िर भी..
लगता है तुम को, बदल गया हूँ मैं
हिमांशु Kulshreshtha