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10 Aug 2021 · 1 min read

ये कैसी तरुणाई है?

दिल अश्रु से ओत-प्रोत है, ग़म की बदली छायी है,
भ्रमर प्रेम का रूप में उलझा, कृत्रिम हुई अंगड़ाई है,
ये कैसी तरुणाई है,,,,,।
पल भर के इस नश्वर तन में, झूँठा सब कुछ है साथी,
अचरज ना कोई करना बंधू, ऋतु ही ऐसी आई है,
ये कैसी तरुणाई है,,,,,।
अन्धभक्ति में यह जग डूबा, घर से बाहर ऊँघ रहा,
खफ़ा है खुद से, खुद में भटका, खुद को बाहर ढूंढ रहा,
ज्ञानवान खुद को समझे वो, चेतनता मुरझाई है,
ये कैसी तरुणाई है,,,,,।
ओछापन है चरम पर अपने, औरों पर क्यों दोष मढ़े,
अंतःपुर में गर देखें हम, अक्षर-ब्रह्म का ज्ञान बढ़े,
यही भक्ति है, यही ज्ञान है, यही त्रिगुण चतुराई है,
ये कैसी तरुणाई है,,,,,।

Language: Hindi
330 Views
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