ये कितनी हसीन बरसात हुई
ये कितनी हसीन बरसात हुई
आज इश्क की बात हुई
बारिश की बूदों में उनसे मुलाकात हुई
भीगीं राहें थमी नहीं,
ये कितनी हसीन बरसात हुई
बेवसी सारी दूर हुई
बातों-बातों से पहचान हुई
खिल उठा तन-मन,
ये बारिश भी कितनी कमाल हुई
बादल आसमां में छाई हुई
भगवान भी हमपें मेहरबान हुई
मोहब्बत ने रंग बरसाया,
ये मौसम भी हमपें बवाल हुई
सांस से सांस मिली,
शाम जैसी दिन-रात हुई
हमें पता न था कि,
बारिश भी इतनी बेमिसाल हुई
हवायें गुनगुना कर,
इश्क की बोछार हुई
जीवन रेखा बदल गई
ये कितनी हसीन बरसात हुई.
स्वरचित
‘शेखर सागर’